पुनर्जन्म भाग_2
नालंदा में ,विवान 5 वां जन्मदिन मना रहा था। उसके सारे दोस्त आज उसकी खुशी में शरीक होने आए थे।माता पिता का दुलारा था विवान।केक काटा गया ,सबने खूब मजे किए।
रात को सोने जाते समय उसने मां से कहा मां तुम मेरे पास सो जाओ,मुझे रोज़ जो सपने आते हैं,मै डर जाता हूं,कोई मुझे मार रहा हो।
मां ने समझाया बेटा तू डर मत, मैं हूं ना तुम्हारे साथ ।
लेकिन ये सपने अब रोजाना आने लगे ,और अब कुछ कुछ चेहरे दिखने लगे ,वह कहता वो विवान नहीं है,उसका नाम पुरू है। उसकी पत्नी अभी पटना में रहती है,वो मेरा इंतजार कर रही।और फिर बेहोश हो जाता।वो डरा डरा रहने लगा।उसकी तबीयत खराब होने लगी।
माता पिता ने वहां के सबसे बड़े न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाया , काफी टेस्ट हुए MRI हुई कुछ भी अबनॉर्मल नहीं दिखा जिससे कोई दवा दी जा सके ,तब डॉक्टर ने सलाह दी कि आप विवान को साइकियाट्रिस्ट को दिखाइए।
वो लोग साइकियाट्रिस्ट के पास गए। डॉक्टर ने काफी सवाल पूछे, मसलन कहीं वो ज्यादा टीवी में मर्डर मिस्ट्री तो नहीं देखता। कब से ये स्वप्न आ रहे।
अंत में उन्हें लगा कि अब इस मामले को सुलझाने के लिए विवान पर पास्ट लाइफ रिग्रेशन ट्राई करना होगा।
तभी इसकी तबीयत में सुधार हो पाएगा।
पास्ट लाइफ रिग्रेशन एक प्रक्रिया है जिसमें सम्मोहन का इस्तेमाल होता है।अचेतन मन इस जीवनकाल के परे चला जाता है ,और अपनी पिछले जीवन में हुए घटनाक्रम से रूबरू होकर,उस समस्या से निजात पा सकता है।
विवान के मातापिता ने इस प्रक्रिया को करने कि डॉक्टर को इजाजत दे दी।
डॉक्टर ने विवान पर इस तकनीक का इस्तेमाल किया,और परिणाम जो आया वो सबको चौंकाने वाला था।
"क्या विवान को अपने पूर्वजन्म की सारी बातें याद हैं,क्या वो इस जीवन में कोई मकसद लेकर आया है? "
विवान ने अचेतन अवस्था में बताया ,उसका कत्ल हुआ है।वह विवान नहीं , पुरू है।
उसकी एक मासी और पत्नी है। इतना पता चलने के बाद किसी को यकीन नहीं हो रहा था फिर भी सच्चाई का पता लगाना ही था विवान के लिए।
विवान के माता पिता का अनुमान था कि इसे जब उस स्थान पर ले चलें ,अगर वो सबको पहचान सका तो ठीक हो जाएगा ,अगर नहीं तो उसकी इन बातों को कपोल कल्पना समझना होगा।
परिवार ,डॉक्टर और विवान को ले पटना पहुंचा।वहां,राजीव नगर पुलिस थाना ,बोरिंग रोड ,पहुंचे।और इंस्पेक्टर अरुण को सारी बात बताई,और केस में सहयोग करने को कहा।
पहले तो इंस्पेक्टर ने इस बात को हल्के में लिया ,फिर उन्होंने दीवान से 2015 की क्राइम की फाइल मंगवाई।
ये देख कर वो सब हैरत में पड़ गए कि पुरू का मर्डर केस उसमें दर्ज था।लेकिन सबूतों के अभाव में उसकी फाइनल रिपोर्ट लगा बंद कर दिया गया था।
उन्होंने एक बात गौर की , कि विवान की आंखों में गजब की चमक थी ।वो बहुत ही उतावला था ,अपनी पत्नी प्रिया से मिलने को।
पुलिस के साथ वो घर पहुंचे। घर पहुंचते ही वह जोर से चिल्लाने लगा ,आओ पापा मम्मी मैं आप सबको अपना घर दिखाता हूं।रामू काका पौधों में पानी डाल रहे थे,उसने उनसे कहा -' कहो रामू काका कैसे हो,बड़े कमजोर लग रहे हो काकी तुम्हारा ख्याल नहीं रखती क्या?'' और जोर जोर से हंसने लगा।
रामू दंग रह गया,एक दम पुरू के बोलने का अंदाज़ । यूं ही पुरु ,रामू काका को छेड़ता था।वह दौड़ता हुआ घर में दाखिल हुआ, मासी ओ मासी कहां छुप कर बैठी हो,पुरू आया है ,और तुम दिख भी नहीं रही।
मैं,..…..... जिसके लिए मेरा पुरु ही सबकुछ था,उसकी आवाज़ ने जैसे मेरे कानों को झंकृत कर दिया।मै दौड़ी .... अपने पुरू की आवाज जिस दिशा से आ रही थी।फिर ठिठक कर सोचने लगी....।
("मेरे बुद्धि विवेक को जैसे लकवा मार गया हो)" , मैं क्या सपना देख रही ,पुरु कहां से आएगा। मैं भी न सठिया गई हूं।
पुनः मुझे फिर किसी ने मासी कह कर पुकारा । मैं फिर से चलने लगी आवाज की दिशा में ..।
लेकिन ये क्या!
एक पांच साल का बच्चा,खुद को पुरू बता रहा था। मैं आश्चर्य से देख रही थी।
तभी वो बच्चा मासी मासी कहता मेरे गले लग गया।
और कहने लगा,_ क्यों मासी तूने पहचाना नहीं? मै ही तो हूं तेरा पुरू।
आज उसके सीने से लगते जाने क्यों मेरे अंदर जो मातृत्व की रसधारा उसके जाने के बाद से सूख चुकी थी ,वो पुनः हरी हो गई। पता नहीं क्या हुआ ये जानते हुए भी कि ये छोटा बच्चा मेरा पुरु कैसे हो सकता है ,पर बरसों से जो अंदर पुरु की मौत को मैं स्वीकार नहीं कर पाई थी ,मैने अपने आंसू अपने पलकों में थाम कर रखे थे ,वो सैलाब बन कर निकलने लगे,मेरा अपने आंसुओं पर कोई बस नहीं था ,बहुत रोयी मै उसे सीने से लगा कर।,
मैं धीमे धीमे बुदबुदा रही थी _मुझे पता था तू अवश्य आएगा।
हां मासी - मुझे तो आना ही था।
"प्रिया कहां है - विवान ने पूछा।
मैंने जवाब दिया -" ऊपर कमरे में होगी।
शोरगुल की आवाज़ सुन प्रिया कमरे से बाहर निकली ,उसे देखते विवान ने कहा - मेरी प्रिया..।
घर वालों को पुलिस ने और विवान के परिवार वालों ने पूरी बात बताई। पूरे पटना में ये ख़बर फैल गई,की कोई बच्चा अपने आप को इस घर का वारिश बता रहा,प्रिंट मीडिया,सोशल मीडिया हर कोई इस ख़बर को प्राथमिकता से दिखा रहा था।
न्यूज़ चैनल्स इंटरव्यू लेने लगे।
नीलेश काम के सिलसिले से शहर से बाहर था।लौटा तो घर के बाहर मजमा लगा मिला।
वह गुस्से से जोर जोर से चिल्लाने लगा - क्या तमाशा लगा रखा है,इतनी भीड़ क्यों??
मेरा कोई भाई नहीं ,मेरा भाई 5 साल पहले मर चुका है,ये कोई बहुरूपिया है,निकलो सब बाहर।
विवान उसकी बातों को सुन रहा था,उसने अचानक नीलेश के हाथों में लगे चोट के गहरे निशान की ओर देख कर कहा - भाई ये चोट का निशान कैसा?
नीलेश अचानक सकपका गया ।उसने कहा चोट लगी थी।
मैंने और प्रिया ने भी ये सवाल 5 साल पहले नीलेश से पूछा था,जब हम पुरू पर हमला होने के बाद पहुंचे थे।उस समय नीलेश देर से आया था ,और उसने हाथों पर पट्टी बांध रखी थी,।
उसके बाद बात आयी गई हो गई ,किसी ने ध्यान नहीं दिया था।
आज विवान के सवाल से यह बात ध्यान में आयी।विवान ने कहा कि उस रात में ऑफिस से चला तो देर हो गई थी,घर के सामने जैसे पहुंचा ,एक आदमी मेरी ओर कुल्हाड़ी ले लपका , उसने मुंह में बंदर टोपी लगा रखी थी। जिससे उसका मुंह ढका था ,उसने अचानक मेरे पैर पर वार किया ,जिससे मैं गिर पड़ा ,लेकिन तेज़ी से उठ मैंने पूरा संघर्ष किया , जिसकी वजह से हत्यारे के हाथ में गहरी चोट आयी।
आज समझ में आया कि ये मेरा अपना भाई था।तुम्ही थे भाई विवान चिल्लाया।
सब हक्के बक्के हो गए।
नीलेश गुर्राने लगा ,ये क्या मजाक है इस तरह का नाटक मेरे घर में रचाया जा रहा है,ये सब इनलोगों की साजिश है।
नीलेश , विवान के पिता का कॉलर पकड़ कर खींचने लगा।वह जोर जोर से चिल्ला रहा था _निकालो इन सबको बाहर।
किसी बच्चे की वजह से ,और विज्ञान भी पुनर्जन्म को नहीं मानता,फिर भी शक की वजह से एक बार पुनः पुरू की फाइल रिओपन की गई।
नीलेश को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। काफी पूछताछ के बाद नीलेश टूट गया ,और उसने सच्चाई इस तरह बयां की......
मैं बहुत नफरत करता था पुरू से,सभी उसे ही प्यार करते थे। पुरू के आने के बाद मेरे खर्चे पर रोक लग गई।
खर्चे के लिए मुझे मां से कहना होता वो पुरू से मांग कर मुझे देती,पुरू मां से कभी कोई सवाल नहीं करता था।
इसी वजह से उन्हें भी मांगने में संकोच होता था।
पुरु ने पूरे स्टाफ के सामने मेरा अपमान किया था।उसे मैं नहीं भूल सकता था।
प्रिया मुझे शुरू से बहुत पसंद थी,जब वो पुरू के साथ होती तो मेरा रोम रोम जलता था।
मुझे एक तीर से कई निशाने करने थे,मैंने वक्त लिया।अगर तुरंत कुछ पुरू को होता तो शक की सुई मेरे पर जाती।
मै सबको सुधरा दिखाई देता था।और कुछ समय बाद पुरू को मारने के बाद मेरी सारी मुराद पूरी हो गई।
मै इकलौता वारिश और प्रिया का पति दोनों बन गया......।
सब हतप्रभ थे,ये कैसा इंतकाम था।
आज मुझे और पुरु को विवान की वजह से इंसाफ मिला।
लेकिन बेचारी प्रिया एकदम अकेली हो गई।घर और ऑफिस की सारी बागडोर उसके कंधों पर आ गई।
विवान की काउंसलिंग की गई,क्योंकि वो प्रिया को छोड़ने को तैयार नहीं था।
काफी जद्दोजहद के बाद उसे समझाया जा सका ,की वो उसका अतीत थी।आज उसके माता पिता कोई और है,और उसका घर नालंदा में है।
एक इंसाफ जिसे लेने दुबारा जन्म लेना पड़ा।
Seema Priyadarshini sahay
12-Jan-2022 09:26 PM
बहुत शानदार लिखा मैम
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Roshan
12-Jan-2022 02:01 PM
Nice
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🤫
12-Jan-2022 11:18 AM
Very intresting story likhi h aapne
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